भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA - indian God Krishna

 भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA - indian God Krishna 
Hindu God story, Hindu temple
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               बगडावत भारत कथा -10

God इधर राण में जयमती (भवानी) हीरा से पूछती है कि बगड़ावत आ गये क्या? हीरा जवाब देती है कि मुझे नहीं लगता कि वो आऐगें। जयमती कहती है बादलो में बिजली चमक रही है। बगड़ावतों के भाले चमक रहे हैं, बगड़ावत आ रहे हैं। हीरा कहती है बाईसा मेरे को ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। बगड़ाबत राण में रानी को लेने आ जाते हैं और नौलखा बाग में ठहरते हैं। सवाई भोज बकरियों की पाली बनाकर रानी के महलों के पिछवाड़े उन्हें चराने निकल जाते हैं और रानी जयमती को संकेत कर देते हैं God story कि हम आपको लेने आ गये हैं। जैसे ही रानी जयमती को बगड़ावतों के आने की सूचना मिलती है रानी जयमती अपनी माया से अपने पसीने का सूअर बनाकर नौलखा बाग के पास छोड़ देती है। नियाजी की निगाह जब उस पर पड़ती है तो वह उसका शिकार कर लेते हैं। वहां नौलखा बाग में नियाजी और नीमदेवजी की फिर से मुलाकात होती है। भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA - indian God Krishna नीमदेवजी रावजी के पास जाकर बगड़ावतों के आने की खबर देते हैं। इधर रानी जयमती हीरा को कहती है की जाकर पता करो सवाई भोज के क्या हाल हैं। जब हीरा जाने के लिए मना करती है तो जयमती हीरा को लालच देती है और अपने सारे गहने हीरा को पहनने के लिये देती है। हीरा कहती है ये गहने मुझे अच्छे नहीं लगते हैं, ये तो आपको ही अच्छे लगते हैं। जयमती हीरा को कहती है कि ये गहने पहनकर तू सवाई भोज का पता करने जा। हीरा नौलखा बाग में बगड़ावतों से मिलने पहुंचती है जहां बगड़ावत भाई पातु कलाली की बनाई दारु पी रहे हैं। वहां हीरा के गले में नियाजी दारु का गिलास उण्डेल देते हैं। हीरा दारु पीकर बेहोश हो जाती है और रात भर नौलखा बाग में ही रहती है। बगड़ावत हीरा को जाजम (दरी) से ढक देते हैं, ताकि कोई देख ना ले। जब सुबह हीरा को होश आता हैऔर वह महलों में रानी के पास लौटती है तो किसी को शक न हो इसलिए अपने साथ चावण्डिया भोपा को लेकर आती है और कहती है कि रानी के पेट में दर्द था उसको ठीक करने के लिए इसे लेने गई थी। चावण्डिया भोपा के वापस लौटने के बाद रानी जयमती हीरा को पीटती है और ईर्ष्या वश उसे खूब खरी-खोटी सुनाती है कि तू भोज पर रीझ गयी है। भोज ने रात को तुझे छुआ तो नहीं और क्या-क्या बात हुई बता। जब हीरा सारी बात सही-सही बताती है तब रानी जयमती वापस हीरा को मनाती है, उसे खूब सारा जेवर देती है। God एक दिन रात को हीरा और रानी जयमती सवाई भोज से मिलने नौलखा बाग की ओर जा रही होती हैं, संयोग से उस दिन नीमदेवजी पहरे पर होते हैं और वो रानी की चाल से रानी को पहचान जाते हैं। रानी नीमदेवजी को देख पास ही भडभूजे की भाड़ में जा छुपती है। जिसे नीमदेवजी देख लेते हैं और हीरा से पूछते हैं कि हीरा भाभी जी को इतनी रात को लेकर कहां जा रही हो? हीरा सचेत हो कर कहती है कि बाईसा को पेट घणो दूखे है, इस वास्ते भड़भूजे के यहाँ आए हैं। यह झाड़ फूंक भी करना जानता है,बताबा ने आया हैं। BHOJ BAGDAWAT KATHA - indian God Krishna नीमदेवजी को हीरा की बात पर विश्वास नहीं होता है। भड़भूजा की भाड़ में छिपी रानी को निकालते हैं और हीरा को कहते हैं कि हीरा तुझे इस सच की परीक्षा देनी होगी। हीरा परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाती है। नीमदेवजी लुहार को बुलवाते हैं और लोहे के गोले गरम करवाते हैं। लुहार भट्टी पर लोहे के बने गोलों को तपा कर एकदम लाल कर देता है। जब लुहार लोहे के तपते हुए गोले चिमटे से पकड़कर हीरा के हाथ में देने वाला होता है तब नीमदेवजी हीरा से कहते हैं कि यदि तू सच्ची है तो तेरे हाथ नहीं जलेगें और अगर तू झूठ बोल रही होगी तो तेरे हाथ जल जायेगें। हीरा लोहे के गर्म गोलों को देखती है तो एक बार पीछे हट जाती है और रानी की ओर देखती है। फिर अचानक हीरा को लाल तपते हुए गोले के उपर एक चींटी चलती दिखाई देती है तो वो समझ जाती है कि यह बाईसा का चमत्कार है। और वह तपते हुए गोले को अपने हाथों में ले लेती है। इस पर नीमदेवजी कहते हैं कि रानी जी के पेट में दर्द था तो भड़भूजे को ही महलों मे बुलवा लेते। इतना कहकर नीमदेवजी वहां से चले जाते हैं। इसके बाद नीमदेवजी दरबार में रावजी के पास जाकर रानी की शिकायत करते हैं, और कहते हैं कि कहीं बगड़ावत भाई रानी को उठाकर न ले जाएं। रावजी जवाब देते हैं कि राण में आप जैसे उमराव हैं ऐसे कैसे कोई रानी को उठाकर ले जा सकता है। रानी जयमती दूसरे दिन हीरा के हाथ बगड़ावतों को संदेश भेजती है भोज बगड़ावत की कथा,BHOJ BAGDAWAT KATHA,भोज बगड़ावत संपूर्ण कथा,राजा भोज बगड़ावत कथा,भोज बगड़ावत की कथा, indian God story, God ,बगड़ावत कथा, देवनारायण भगवान की कथा कि आप कुछ दिन तक यहीं बिराजो, नौलखा बाग को छोड़कर कहीं मत आना जाना। महलों की ओर भी नहीं आना, नहीं तो लोग समझेगें बाईसा त्रिया चरित्र है। रानी जयमती का यह संदेश नियाजी को ही देकर हीरा वापस लौट आती है। जब रानी हीरा से पूछती है कि सवाई भोज से क्या बात हुई तो हीरा बताती है कि सवाई भोज से तो मैं मिली ही नहीं, मैं तो नियाजी से ही मिलकर वापस आ गई हूँ। भोज बगड़ावत की कथा तब रानी कहती है कि तूने नियाजी से बात क्यों करी? तुझे सवाई भोज से मिलने भेजा था और तू नियाजी से ही मिल कर वापस आ गई। हीरा कहती है रानी जी आपका आज मुझ पर से भरोसा उठ गया है।अब आपका और मेरा मेल नहीं हो सकता है। अब मैं आपके साथ नहीं रह सकती। रानी हीरा को मनाती है और उसकी बढ़ाई करती है। कहती है हीरा तेरे को मैं सारे श्रृंगार करवाऊगीं और हीरा को अपने कपड़े और सारे गहने देती है। मनाती है और हीरा से कहती है तू मेरा साथ मत छोड़। रानी हीरा से कहती है, हीरा यहां से कैसे निकला जाय कोई उपाय करो। हीरा कहती है रावजी का चारों ओर पहरा लगा हुआ है, क्या करें। रावजी को तो हम सूअर का शिकार करने भेज देगें। मगर पहरे का क्या करेगें? हीरा कहती है बाईसा आप पेट दुखने का झूठा बहाना करो। रानी हीरा की सलाह अनुसार ऐसा ही करती है।भोज बगड़ावत की कथा

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कथा और आगे भी हैं यह भी पढ़ें भाग 11 बगडावत भारत कथा -11

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Ramlal_gujjar
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🙏राम राम सा ✍️लेखक रामलाल वीर भड़ाना गुर्जर मध्य प्रदेश देवास जिला गांव मगरिया  व्हाट्सएप नंबर +919399949985

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