भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA | Hindu God story
बगडावत भारत कथा-4
Hindu God story अपने घर आकर सवाईभोज बाबा रुपनाथ व सोने के पोरसे की सारी घटना अपने भाइयों एवं परिवार वालों को बताते हैं। इस अथाह सम्पत्ति का क्या करें यह विचार करते हैं। इतना सारा धन प्राप्त हो जाने पर सभी बगड़ावत अपना पशुधन और बढ़ाते हैं। सभी अपने लिये घोड़े खरीदते हैंऔर सभी घोड़ो के लिये सोने के जेवर बनवाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बगड़ावत अपने सभी घोड़ों के सोने के जेवर कच्चे सूत के धागे में पिरोकर बनाते थे। उनके घोड़े जब भी दौड़ते थे तब वह जेवर टूट कर गिरते रहते थे भोज बगड़ावत की कथा और वे दोबारा जेवर बनवाते रहते थे। आज भी ये जेवर कभी-कभी बगड़ावतों के गांवो के ठिकानों से मिलते हैं। बगड़ावत खूब जमीन खरीदते हैं। और अपने अलग-अलग गांव बसाते हैं। सवाई भोज अपने गांव का नाम गोठां रखते हैं। बगड़ावत काफी धार्मिक काम करते हैं। तालाब और बावड़ियां बनवाते हैं Hindu God temple और जनहित में कई काम करते हैं। बगड़ावतों के पास काफी सम्पत्ति होने से वो काफी पैसा शराब खरीदने पर भी खर्च करते हैं और अपने घोड़ो को भी शराब पिलाते हैं। एक बार सवाईभोज अपने भाइयों के साथ अपने राजा (रावजी) से मिलने जाने की योजना बनाते हैं। अपने सभी घोड़ो को सोने के जेवर पहनाते हैं। साडू माता नियाजी से पूछती है कि इतनी रात को कहाँ जाने की तैयारी है। नियाजी उन्हें अपनी योजना के बारे में बताते हैं और फिर सारे भाई राण की तरफ निकल पड़ते हैं। रास्ते में उन्हें पनिहारिने मिलती हैं और बगड़ावतों के रुप रंग को देखकर आपस में चर्चा करने लगती हैं। भोज बगड़ावत की कथा
आगे जाकर उन्हें राण के पास एक खूबसूरत बाग दिखाई देता है, जिसका नाम नौलखा बाग होता है। वहां रुक कर सभी भाईयों की विश्राम करने की इच्छा होती है। यह नौलखा बाग रावजी दुर्जनसाल की जागीर होती है। नियाजी माली को कहते हैं कि पैसे लेकर हमें बैठने दे, लेकिन माली बगड़ावतों को वहां विश्राम करने से मना कर देता है। जिससे बगड़ावत गुस्सा हो जाते हैंवे उसे खूब पीटते हैं और नौलखा बाग का फाटक तोड़कर उसमें घुस जाते हैं। बाग का माली मार खाकर रावजी से उनकी शिकायत करनेजाता है। बगड़ावतों को नौलखा बाग के पास दो शराब से भरी हुई झीलों का पता चलता हैं। वह शराब की झीलें पातु कलाली की होती है जो दारु बनाने का व्यवसाय करती है। दारु की झीलों का नाम सावन-भादवा होता है, जिनमें काफी मात्रा में दारु भरी होती है। सवाई भोज नियाजी और छोछू भाट के साथ पातु कलाली के पास शराब खरीदने जाते हैं। भोज बगड़ावत की कथा पातु कलाली के घर के बाहर एक नगाड़ा रखा होता है, जिसे दारु खरीदने वाला बजाकर पातु कलाली को बताता है कि कोई दारु खरीदने के लिये आया है। नगाड़ा बजाने वाला जितनी बार नगाड़े पर चोट करेगा वह उतने लाख की दारु पातु से खरीदेगा। छोछू भाट तो नगाड़े पर चोट पर चोट करे जाते हैं। यह देख पातु सोचती है कि इतनी दारु खरीदने के लिये आज कौन आया है? पातु कलाली बाहर आकर देखती है कि दो घुड़सवार दारु खरीदने आये हैं। पातु कहती है कि मेरी दारु मंहगी है। पूरे मेवाड में कहीं नहीं मिलेगी। केसर कस्तूरी से भी अच्छी है यह, तुम नहीं खरीद सकोगे। नियाजी और सवाई भोज अपने घोड़े के सोने के जेवर उतारकर पातु को देते हैं और दारु देने के लिये कहते हैं। पातु दारु देने से पहले सोने के जेवर सुनार के पास जांचने के लिए भेजती है। सुनार सोने की जांच करता है और बताता है कि जेवर बहुत कीमती है। जेवर की परख हो जाने के बाद पातु नौलखा बाग में बैठाकर बगड़ावतों को दारु देती है। इधर माली की शिकायत सुनकर रावजी नीमदेवजी को नौलखा बाग में भेजते हैं। रास्ते में उन्हें नियाजी दिखते हैं जो अपने घोड़े के ताजणे से एक सूअर का शिकार कर रहेहोते हैं। नीमदेवजी यह देखकर उनसे प्रभावित हो जाते हैं और पास जाकर उनका परिचय लेते हैं। यहीं नियाजी और नीमदेवजी की पहली मुलाकात होती है। भोज बगड़ावत की कथा,BHOJ BAGDAWAT KATHA,भोज बगड़ावत संपूर्ण कथा,राजा भोज बगड़ावत कथा,भोज बगड़ावत की कथा, indian God story, God ,बगड़ावत कथा, देवनारायण भगवान की कथा
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Ramlal_gujjar |
🙏राम राम सा ✍️लेखक रामलाल वीर भड़ाना गुर्जर मध्य प्रदेश देवास जिला गांव मगरिया व्हाट्सएप नंबर +919399949985
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