बगडावत भारत कथा-7
Hindu God story एक बार जब राजकुमारी जयमती और हीरा दासी फुंदी कीकली रही होती है उनके पावों की धम-धम से सारा महल हिलने लग जाता है क्योंकि वो दोनों तो दैवीय शक्तियां होती है) यह देख राजा पूछतेबहै कि यह क्या हो रहा है? तो पता चलता है कि बाईसा फुंदी खेल रही । राजा देखते है की बाईसा अब बड़ी हो गयी है, इनकी शादी के लिये कोई सुयोग्य वर देखना होगा, और ब्राह्मणों को बुलवाते हैं। राजा ब्राह्मणों को टीका (रुपया व नारीयल) शगुन देकर कहते है कि राजकुमारी के लायक कोई सुयोग्य, प्रतापी, सुन्दर राजकुमार को ही ये शगुन जाकर देना और राजकुमारी का सम्बंध तय करके आना। यह बात राजकुमारी जयमती को पता चलती है भोज बगड़ावत की कथा ,BHOJ BAGDAWAT KATHA कि पिताजी ब्राह्मणों के हाथ मेरी शादी का शगुन भेज रहे हैं तो वह चुपके से ब्राह्मणों को अपने पास बुलाती है, और उनकी खूब आवभगत करती है। और कहती है, हे ब्राह्मण देवता आप मेरी शादी का शगुन ऐसे घर में जाकर देना जहां एक बाप के २४ बेटे हो और दूसरे नम्बर के बेटे का नाम सवाई भोज हो उसी के यहां जाकर मेरा लगन तय करना। और साथ में कपड़े पर सवाई भोज का चित्र बनाकर देती है और कहती है भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA कि अगर कहीं और जाकर आपने मेरा सम्बंध तय किया तो मैं आप को जिन्दा नहीं छोडूंगीं, मरवा दूंगी। ब्राह्मणों को जाते समय जयमती काफी रुपया-पैसा देकर भेजती है।ब्राह्मण खुशी-खुशी रवाना हो जाते हैं। ब्राह्मण सारी दुनियां में घूम फिर कर थक जाते हैं लेकिन उन्हें जयमती द्वारा बताया हुआ वर नही मिलता है। यहाँ तक कि उनकी हालत इतनी दयनीय हो जाती है कि उनके कपड़े फट जाते है, दाढ़ी बढ़ जाती है। भिखारियों से भी बदतर हालतहो जाती है। घूमते-घूमते आखिरकार ब्राह्मण गोठां पहुंचते हैं। वहां उन्हें पनिहारियां मिलती हैं और उनकी हालत पर हंसती हैं क्योकि उनके कपड़े फटे हुए और वह भूखे प्यासे होते हैं। पनिहारियां उनसे पूछती हैं कि क्या दुख है जो इतने परेशान हो, तो ब्राह्मण कहते हैं कि ऐसे कुल की तलाश है जहां एक बाप के २४ बेटे हो और सवाई भोज का चित्र दिखाते हैं। वे कहती हैं कि यह तो हमारे ही गांवके हैं। और ब्राह्मणों को बगड़ावतों के घर छोड़ देती हैं। बगड़ावत उनकी आव भगत करते हैं। नए कपड़े, खाना-पीना देते हैं। ब्राह्मण सवाई भोज को राजा बुआल द्वारा दिया हुआ शगुन का टीका और नारीयल देते हैं। सवाई भोज कहते हैं कि हमारे सभी भाईयों के एक-एक दो-दो रानियां है। इसे लेकर हम क्या करेगें। और फिर हम तो ग्वाल हैं। भोज बगड़ावत की कथा एक राजा के यहाँ तो राजा ही सम्बन्ध करता है। ऐसा करो की यह शगुन तुम राण के राजाके यहां ले जाओ। यह बात सुनब्राह्मण राजकुमारी जयमती द्वारा कही सारी बात बताते हैं और कहते हैं यह तो आप के लिये ही है और यह आपको ही लेना होगा। सवाई भोज सभी भाईयों की सहमती से शगुन ग्रहण कर लेते हैं और ब्राह्मणों को राजी खुशी वहां से दक्षिणा देकर विदा करते हैं। भोज बगड़ावत की कथा ब्राह्मण उन्हें राजा बुआल का सारा पता ठिकाना देकर कहते हैं कि फलां दिन के सावे हैं और ४ दिन पहले बारात लेकर बड़े ठाट-बाट से शादी करने के लिये पधारें। ब्राह्मणों के जाने के बाद सवाई भोज अपने सभी भाईयों के साथ मिलकर यह फैसला करते हैं कि यह लगन का टीका हम स्वयं रावजी के यहां भिजवा देते हैं। रावजी की कोई सन्तान नहीं है, शायद इस रिश्ते से उन्हें कोई सन्तान प्राप्त हो जाए। जब रावजी को शगुन का टीका नारीयल मिलता हैं तब रावजी कहते हैं कि मैं तो अब बूढा हो गया हूं और टीका लेने से आनाकानी करते हैं। बगड़ावत जिद करते हैं और कहते हैं कि आप चिंता मत करिये, शादीमें सारा धन हम खर्च करेंगे। रावजी कंजूस प्रवृति के होते हैं, खर्चे की बात सुनकर तैयार हो जाते हैं। बगड़ावत रावजी से कहते हैं हम बारात में इधर से ही पहुंच जायेगें। आप उधर से सीधे पहुंच जाना, हम सब बुवांल में ही मिलेंगे। शादी के लिए निमंत्रण भेजेजाते हैं। पहला निमन्त्रण गणेशजी को और सभी देवी देवताओं को, फिर अजमेर, सावर, पीलोदा, सरवाड़, भीलमाल और मालवा सभी जगह निमंत्रण भेजे जाते हैं। रावजी के ब्याह की खुशी में गीत गाए जाते हैं उन्हें उबटन लगाया जाता है, नहला धुला कर उनका श्रृंगार किया जाता है। इधर २४ बगड़ावत भाई सज धज कर अपने घोड़ों पर सवार हो बुआल के राजा के यहां पहुंच जाते हैं। उन्हें बाग में ठहराया जाता है। बारात मे आए हुए बगड़वतों को देखकर नीमदेवजी कहते हैकि बगड़ावत तो ऐसे सज कर आए हैं जैसे कि शादी इन्हीं की हो रही हो। सब के सिर पे मोहर बधा होता है। हीरा सभी बगड़ावतों का स्वागत करती है। जब जयमती को पता चलता है किबगड़ावत आ गये हैं, वह हीरा से पूछती है कि सवाई भोज दिखने में कैसे हैं, Hindu God story और वह सवाई भोज के बारे में ही पूछती रहती है। हीराजयमती के मन की बात जानती है इसलिए सवाई भोज को कलश बन्धाती है। सवाई भोज हीरा के कलश को मोहरों से भर देते हैं। हीरा रानी को जाकर बताती है कि बगड़ावत तो बड़े दातार हैं। फिर रावजी की बारात आती हैं। बारात का स्वागत सत्कार होता है। जयमती की माता रावजी की आरती उतारती है। हीरा रावजी को कलश बन्धाती है। indian God Krishna रावजी कंजूस प्रवृति के होते है इसलिए हीरा के कलश में एक टका डाल देते हैं। हीरा रानी जयमती को जाकर बताती है कि रावजी तो एकदम कंजूस हैं। जयमती हीरा से पूछती है कि हीरा रावजी दिखने में कैसे हैं? तो हीरा पूछती है कि आदमी की औसत आयु कितनी होती है? सौ बरस, रानी जवाब देती है।हीरा बताती है कि इतनी तो वो जी लिये है और बाकि की जिन्दगी नफे की है, यानि रावजी बूढे हो चुके हैं भोज बगड़ावत की कथा,BHOJ BAGDAWAT KATHA,भोज बगड़ावत संपूर्ण कथा,राजा भोज बगड़ावत कथा,भोज बगड़ावत की कथा, indian God story, God ,बगड़ावत कथा, देवनारायण भगवान की कथा
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Ramlal_gujjar |
🙏राम राम सा ✍️लेखक रामलाल वीर भड़ाना गुर्जर मध्य प्रदेश देवास जिला गांव मगरिया व्हाट्सएप नंबर +919399949985
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