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भोज बगड़ावत की कथा | BHOJ BAGDAWAT KATHA-Hindu God Krishna
बगडावत भारत कथा -8Hindu God Krishna जब तोरण का समय होता है तो रावजी हाथी के होदे में सवार हो तोरण मारने के लिये आते हैं। तोरण के पास आते ही हाथी चमक जाता है और थोड़ा पीछे हट जाता है (क्योंकि हीरा नाहर बन तोरण के पास बैठ जाती है, शेर की आंखे देख हाथी डर जाता है।) और रावजी होदे में ही गिर जाते हैं। इतने में तोरण का मुहर्त निकल रहा होताहै तो सवाई भोज अपने घोड़े को आगे ले जाकर तोरण मार देते हैं। सवाई भोज को तोरण मारते देख रावजी के भाई नीमदेवजी और बगड़ावत आमने-सामने हो जाते है।भोज बगड़ावत की कथा जैसे-तैसे आपस में समझोता हो जाता है। जयमती हीरा को सवाई भोज से खाण्डा मांगने बुआल के बाग में भेजती है और जब हीरा खाण्डा ले आती है तब उस पर मोड़ बांधती है।जयमती खाण्डे के साथ फेरे ले लेती है और खाण्डा वापस भिजवा देती है। जब सवाई भोज खाण्डे पर मोड़ और मेंहदी लगी हुई देखते है तो नियाजी से कहते हैभोज बगड़ावत की कथा कि भाई नीया टीका नारीयल अपने पास आया, तोरण हमने मारा फेरे अपने खाण्डे के साथ हुए तो यह लुगाई अपनी हुई कि रावजी की। नियाजी कहते हैं कि दादा भाई लुगाई तो अपनी ही हुई लेकिन अब क्या करना चाहिए। सवाई भोज नियाजी को समझाते हैं कि अभी तो जयमती को रावजी के साथ जाने दो, बाद में निपट लेंगे। फेरों के समय रानी जयमती रावजी के साथ अपना रुप बना कर बैठ जाती है और उस रुप के साथ रावजी का ब्याह हो जाता है। रावजी अपनी रानी जयमती को लेकर रवाना होते हैं। जिस रथ में रानी जयमती हीरा के साथ होती है भोज बगड़ावत की कथा उस रथ में गाड़ीवान रथ को दौड़ाता हुआ आगे ले जाता है। बगड़ावत भी पीछे-पीछे आ रहे होते हैं। जयमती हीरा से कहती कि में रावजी के साथ नहीं जाना चाहती और गोठां का रास्ता आने से पहले कोई युक्ति लगाते हैं कि सवाई भोज से एक बार मुलाकात हो जाए। जिस जगह पर दो रास्ते फटते है एक राण की ओर, दूसरा गोठां की ओर जाता है, वहां हीरा अपने चमत्कार से शेर बनकर उस गाड़ीवान को डरा देती है और वो बैल के पैरों में गिर जाता है और चिल्लाता है, "नाहर-नाहर'। यह शोर सुनकर पीछे आ रहे बगड़ावत अपने घोड़े को दौड़ा कर आगे पहुंचते हैं। नियाजी पूछते है भाभीजी कहां है नाहर? नियाजी जयमती को पहली बार भाभी कहकर पुकारते है। रानी जयमती कहती है की नाहर-वाहर कुछ भी नहीं है। मुझे आप से बात करनी थी। मैंने सवाई भोज को अपना पति माना है। उनकी तलवार के साथ फैरे लिये हैं। मैं रावजी के यहां एक पल भी नहीं रह सकती। आप मुझे अपने साथ ले चलिये और जयमती सवाई भोज और नियाजी के सामने रोने लगती है और कहती है कि मैंने तो लगन (टीका) भी आपके यहां भेजा था। इस बूढे रावजी के साथ मैं नहीं रहूंगी। आप मुझे अपने साथ ले चलिये। नियाजी कहते हैं कि हमें थोड़ा समय दीजिये। फिर सवाई भोज जयमती को वचन देते हैं और कहते हैं कि अभी तो तुम रावजी के महलों में जाओ और हम सब तैयारी कर तुम्हें ६ महीने बाद वहां से ले आयेगें। ब्याह के बाद जयमती और हीरा राण पहुंच जाते हैं रानी जयमती रावजी को अपने नजदीक नहीं आने देना चाहती थी इसलिए वह रावजी से कहती है कि हमारे लिये अलग रावडा (महल) बनवाओ, तब हम आपके साथ रहेंगे। रावजी नई रानी के लिये नया महल बनाने की जिद मान लेते हैं Hindu God Krishna और महल बनवाने का काम शुरु हो जाता है। महल बनाने के लिये सैकड़ों कारीगर दिनभर लगे रहते हैं। दिन में कारीगर काम करते हैं लेकिन रात में रानी जयमती और हीरा उसे जाकर बिगाड़ देती थी। ऐसा करते हुए भी महल ६ महीनों में तैयार हो जाता है। बहुत इन्तजार करने पर रानी जयमती व्याकुल हो जाती है।फिर वह हीरा से पूछती है कि ६ महीने तो बीत गए, बगड़ावत कब मुझे लेने आएगें। हीरा कहती है वे नही आएगें। वे अपने काम में लग गए होगें, भैंसे चराने में उलझ गए होगे। रानी कहती है कि सवाई भोज ने वचन दिया है उनका वचन महादेव का वचन है वे जरुर आएगें। ६ महीने पूरे होने पर जयमती हीरा से परवाणा लिखवाती है, कि जैसे सीता रावण की कैद में थी उसी तरह मैं राणमें रावजी की कैद में हूं। अपने वचन के अनुसार मुझे यहां से जल्दी छुड़वाकर ले जाओ। हीरा चील बनकर बगड़ावतों के यहाँ रानी का पत्र पहुंचाती है।भोज बगड़ावत की कथा,BHOJ BAGDAWAT KATHA,भोज बगड़ावत संपूर्ण कथा,राजा भोज बगड़ावत कथा,
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कथा आगे और भी हैं यह भी पढ़ें भाग 9
बगडावत भारत कथा -9
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Ramlal_gujjar |
🙏राम राम सा ✍️लेखक रामलाल वीर भड़ाना गुर्जर मध्य प्रदेश देवास जिला गांव मगरिया व्हाट्सएप नंबर +919399949985
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